Table of Contents
हमारा उद्देश्य जनसामान्य को अवगत करना है कि-
यह एक आम-भ्रान्ति है कि सामाजिक,शैक्षिक और आर्थिक दृष्टि से आज के रैगर लोग जैसे दिखते हैं, वैसे ही उनके पूर्वज भी थे। यह भी विचारणीय है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद, रैगर जाति एवं ‘रैगर’ शब्द को लेकर, आम लोगों में कई गलत धारणायें पनप गयी है। हमको इस आम भ्रान्ति और इन गलत धारणाओं को जड़मूल से समाप्त करना है तथा इसके लिये आमजन के सामने रैगरों के पूर्वजों की वास्तविक तस्वीर पेश करनी होगी ।
रैगर जाति के पूर्वज कौन थे ?
रैगर एक क्षत्रियवंश सूचक शब्द है।
रैगरवंश मूलरूप से ही रघुवंशी(सगरवंशी) कुल का है।
प्राचीन रग रघुवंशी क्षत्रिय ही वर्तमान रैगर हैं ।
“रैगर” शब्द “रघु का” परिवर्तित और परिवर्द्धित रूपान्तरण है –
रघुवंश → रघवंश → रगवंश→ रगरवंश → रहगरवंश → रेहगरवंश → रैगरवंश → रैगर।
प्रश्न है कि रैगर अपने को सकारात्मक रूप से क्या समझे?
आज लोग अपने परम्परागत धंधों को छोड़कर, कोई न कोई अन्य धंधा कर रहे हैं। अतःआज के रैगर भी अपनी आजीविका के लिए, चाहे किसी भी प्रकार के व्यवसाय कर रहे हैं, वे उनके परम्परागत व्यवसाय नहीं हैं , क्योंकि रैगरों का परम्परागत व्यवसाय सैन्य एवं कार्षिक कर्म था।
अतःरैगर लोग अपने को अन्य किसी से भी हीन नहीं समझे।
Dhanwadiya gotra
Very nice good